परिचय
नरेंद्र मोदी हमारे देश के वर्तमान प्रधानमंत्री हैं। 2014 के चुनावों में
उन्होंने भाजपा (B.J.P) को पूर्ण बहुमत से जितवाया। आज मोदी जी ने अपने
व्यक्तित्व से बच्चे बच्चे में देश के प्रति कुछ कर गुज़रने की भावना
उत्पन्न की है।नरेंद्र मोदी का जीवन बहुत ही साधारण तरीके से शुरू हुआ
मगर अपनी मेहनत से उन्होंने असाधारण सफलता हासिल की। आज इस लेख
में हम मोदी के चाय बेचने वाले दिनों से प्रधानमंत्री बनने तक के अद्भुत सफर के बारे में जानेंगे।
बचपन
चाय की दुकान संभालने के साथ साथ मोदी
पढ़ाई लिखाई का भी पूरा ध्यान रखते थे। मोदी को पढ़ने का बहुत शौक था। वे
अक्सर अपने स्कूल के पुस्तकालय में घंटों बिता दिया करते थे। उनके सहपाठी और शिक्षक बताते हैं कि मोदी शुरू से ही एक कुशल वक्ता थे और उनमें नेतृत्व करने की अद्भुत क्षमता थी। वे
नाटकों और भाषणों में जमकर हिस्सा लेते थे। नरेंद्र को खेलों में भी बहुत
दिलचस्पी थी। मोदी हिन्दू और मुस्लिम दोनों के त्यौहार बराबर उत्साह से
मनाते थे। मोदी बचपन से ही बहुत बहादुर थे। एक बार वे एक मगर के
बच्चे को हाथ में उठाकर घर ले आए थे। ऐसे थे हमारे छोटे नरेंद्र।
देशभक्ति की और झुकाव
बचपन से ही मोदी में देश भक्ति कूट कूट कर भरी थी। 1962 में भारत चीन युद्ध के दौरान मोदी
रेलवे स्टेशन पर जवानों से भरी ट्रेन में उनके लिए खाना और चाय लेकर जाते
थे। 1965 में भारत पाक युद्ध के दौरान भी मोदी ने जवानों की खूब सेवा की।
युवावस्था में मोदी पर स्वामी विवेकानंद का बहुत गहरा प्रभाव पड़ा। उन्होंने
स्वामी जी के कार्यों का गहराई से अध्ययन किया जिसने उन्हें जीवन के
रहस्यों की खोज की तरफ आकर्षित किया और उनमें त्याग और देश भक्ति की भावनाओं को नई उड़ान दी। उन्होंने स्वामी जी के भारत को
विश्व गुरु बनाने के सपने को साकार करना अपने जीवन का मकसद बना लिया।
अध्यात्म की और झुकाव
17 साल की उम्र में मोदी ने घर छोड़ दिया
और अपनी आध्यात्मिक यात्रा शुरू की। उन्होंने भारत के
विभिन्न हिस्सों का भ्रमण किया। उन्होंने हिमालय में ऋषीकेश, बंगाल में
रामकृष्ण आश्रम और पूर्वोत्तर भारत की यात्रा की और फिर दो वर्ष बाद वे घर
लौट आए। इन यात्राओं से उन्हें स्वामी विवेकानंद को और गहराई से जानने का
सौभाग्य मिला जिसने उन्हें पूरी तरह बदल दिया। जब वे घर लौटे, उनका मकसद
साफ था- राष्ट्र की सेवा । वे केवल दो सप्ताह ही घर पर
रुके और फिर अहमदाबाद के लिए निकल पड़े। वहाँ जाकर वे
आर.एस.एस. (R.S.S.) के सदस्य बन गए। आर.एस.एस. (R.S.S.) एक ऐसा संगठन है जो
देश के सामाजिक, आर्थिक, और सांस्कृतिक विकास के लिए कार्य करता है।
आपातकाल और जन सेवा
1972 में मोदी आर.एस.एस. (R.S.S.) के
प्रचारक बन गए और अपना सारा समय आर.एस.एस. (R.S.S.) को देने लगे। वे सुबह
पाँच बजे उठ जाते और देर रात तक काम करते। इस व्यस्त दिनचर्या के बावजूद
उन्होंने अपनी शिक्षा पूरी की और राजनीति विज्ञान में डिग्री हासिल की। प्रचारक होने के नाते मोदी ने गुजरात के
विभिन्न हिस्सों का भ्रमण किया और लोगों की समस्याओं को करीब से समझा। 1975
में देश में जब आपातकाल के काले बादल छाए थे, तब आर.एस.एस.
(R.S.S.) जैसी संस्थाओं पर प्रतिबंध लग गया था। फिर भी मोदी भेष बदलकर देश
की सेवा करते रहे और सरकार की गलत नीतियों का जमकर विरोध किया।
बी. जे. पी. और राजनीति में पर्दापर्ण
आर.एस.एस. (R.S.S.) में बेहतरीन काम की बदौलत उन्हें भाजपा (B.J.P.) में नियुक्त किया गया। नरेंद्र मोदी ने 1990 में आडवाणी की अयोध्या रथ यात्रा का भव्य आयोजन किया जिससे भाजपा (B.J.P.) के वरिष्ठ नेता काफी प्रभावित हुए। उनके अद्भुत कार्य की बदौलत भाजपा (B.J.P.) में उनका कद बढ़ता रहा।
2001 में गुजरात में भयानक भूकंप आया और पूरे गुजरात में भारी विनाश हुआ। गुजरात सरकार के
राहत कार्य से ना खुश होकर भाजपा (BJP) के वरिष्ठ नेताओं ने नरेंद्र मोदी
को गुजरात का मुख्यमंत्री बना दिया। मोदी ने
काफी कुशलता से राहत कार्य संभाला और गुजरात को फिर से मज़बूत किया। मोदी ने
गुजरात को भारत का सबसे बेहतरीन राज्य बना दिया। उन्होंने गाँव गाँव तक
बिजली पहुँचाई। देश में पहली बार किसी राज्य की सभी नदियों
को जोड़ा गया जिससे पूरे राज्य में पानी की कमी दूर हुई। एशिया के सबसे बड़े
सोलर पार्क का निर्माण गुजरात में हुआ।
गुजरात के सभी गाँवों को इंटरनेट से जोड़ा गया और टूरिज़्म को भी बढ़ावा दिया
गया। मोदी के कार्यकाल में गुजरात में
बेरोज़गारी काफी कम हुई और महिलाओं की सुरक्षा में
काफी मज़बूती आई। इन्ही कारणों की वजह से गुजरात की जनता ने मोदी को चार
बार लगातार अपना मुख्यमंत्री नियुक्त किया।
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2014 लोकसभा से प्रधानमंत्री तक
गुजरात में मोदी की सफलता देखकर भाजपा
(B.J.P.) के बड़े नेताओं ने मोदी को 2014 लोक सभा चुनावों का प्रधानमंत्री
उम्मीदवार घोषित किया। मोदी ने पूरे भारत में
अनेक रैलियाँ की जिनमें हज़ारों लोग उन्हें सुनने आते थे। मोदी ने सोशल
मीडिया (Social Media) का भी भरपूर लाभ उठाया और लाखों लोगों तक अपनी बात
रखी। मोदी के गुजरात में विकासशील कार्य, उनके प्रेरणादायक भाषण, देश के प्रति उनका प्यार, उनकी साधारण शुरुआत और
उनकी सकारात्मक सोच के कारण उन्हें भारी मात्रा में वोट मिले और वे भारत के पंद्रहवे प्रधानमंत्री बने।
प्रधानमंत्री (P.M.) बनने के बाद वे भारत
का कुशलता से नेतृत्व कर रहे हैं और भारत को नई उचाईओं पर पहुँचा रहे हैं।
उन्होंने कई विदेश यात्राएँ की और भारत की छवि संपूर्ण विश्व में मज़बूत की।
इसी कारण विदेशों द्वारा भारत में काफी निवेश हुआ। मोदी ने पड़ोसी देशों से
भी काफी अच्छे संबंध बनाए। मोदी ने जन धन योजना, स्वच्छ
भारत अभियान, मेक इन इंडिया और
डिजिटल इंडिया जैसी कई योजनाओं की शुरुआत की जिससे भारत
में काफी विकास हो रहा है ।
नरेंद्र मोदी बहुत ही मेहनती व्यक्ति
हैं। वे 18 घंटे काम करते हैं और कुछ ही घंटे सोते हैं। वे शुद्ध शाकाहारी हैं और नवरात्रों के नौ दिन उपवास रखते हैं। मोदी अपनी सेहत
का भरपूर ध्यान रखते हैं और प्रतिदिन योग करते हैं, भले ही वे कहीं
भी हों। मोदी हमेशा साफ कपड़े पहनते हैं और लोग उन्हें फैशन आइकॉन के रूप
में देखते हैं। नेता होने के अलावा मोदी एक कवि और लेखक भी हैं। वे अपने
भाषणों से लाखों युवाओं का मनोबल बढ़ाते हैं और उनमें देश भक्ति की भावना
जगाते हैं।
मोदी जी के जीवन से हमें यह सीख
मिलती है कि हमें हमेशा मेहनत करनी चाहिए और निस्वार्थ भाव से देश की सेवा
करनी चाहिए। ये हमारे गणतंत्र की ताकत ही है जिसने एक चाय वाले को देश का
प्रधानमंत्री बनने का अवसर दिया।
2. काम को ही महत्वाकांक्षा बन जाने दीजिये।
3. कड़ी मेहनत कभी थकान नहीं लाती, वह तो संतोष लाती है।
4. माना की अंधेरा घना है, लेकिन दिया जलाना कहाँ मना है।
5. मुझे देश के लिए मरने का कोई अवसर नहीं मिला, लेकिन मुझे देश के लिए जीने का मौका मिला है।
6. जो निरंतर चलते रहते हैं वही बदले में मीठा फल पाते हैं। सूरज की अटलता को देखो गतिशील और लगातार चलने वाला, कभी ठहरता नहीं, इसलिए बढ़ते चलो।
उद्धरण[{शुभ विचार}]
1. अगर 125 करोड़ भारतीय एकता, शांति और सदभाव के मंत्र के साथ कंधे से कंधा मिला कर एक कदम बढ़ाएं तो देश एक बार में 125 करोड़ कदम आगे बढ़ जाएगा।2. काम को ही महत्वाकांक्षा बन जाने दीजिये।
3. कड़ी मेहनत कभी थकान नहीं लाती, वह तो संतोष लाती है।
4. माना की अंधेरा घना है, लेकिन दिया जलाना कहाँ मना है।
5. मुझे देश के लिए मरने का कोई अवसर नहीं मिला, लेकिन मुझे देश के लिए जीने का मौका मिला है।
6. जो निरंतर चलते रहते हैं वही बदले में मीठा फल पाते हैं। सूरज की अटलता को देखो गतिशील और लगातार चलने वाला, कभी ठहरता नहीं, इसलिए बढ़ते चलो।
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